बदलापुर : फिल्म समीक्षा - Achhi Website
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Tuesday, 24 February 2015

बदलापुर : फिल्म समीक्षा

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बदलापुर में नवाजुद्दीन सिद्दकी ने इतना उम्दा अभिनय किया है कि वे फिल्म को नुकसान पहुंचा गए। हीरो, स्क्रिप्ट, निर्देशक पर तो वे भारी पड़े ही हैं, साथ ही खलनायक होने के बावजूद वे दर्शकों की सहानुभूति हीरो के साथ नहीं होने देते। दर्शक नवाजुद्दीन की अदायगी का कायल हो जाता है और फिल्म के हीरो के गम को वह महसूस नहीं करता जिसके बीवी और बच्चे को खलनायक ने मौत के घाट उतार दिया है। 
 
दृश्यों को चुराना क्या होता है वो नवाजुद्दीन के अभिनय से महसूस होता है। साधारण संवादों को भी उन्होंने इतना पैना बना दिया कि तालियां सुनने को मिलती हैं। काया उनकी ऐसी है कि जोर की हवा चले तो वे गिर पड़े, लेकिन उनके तेवर को देख डर लगता है। इन सबके बीच वे हंसाते भी हैं। 
 
बात की जाए 'बदलापुर' की, तो यह बदले पर आधारित मूवी है। बदले पर बनी फिल्मों की संख्या हजारों में है, लेकिन यह फिल्म इस विषय को नए अंदाज में पेश करती है। उम्दा प्रस्तुतिकरण की वजह से यह डार्क मूवी दर्शक को बांध कर रखती है। 
badlapur
 
रघु (वरुण धवन) की पत्नी (यामी गौतम) और बेटा एक बैंक डकैती के दौरान मारे जाते हैं। रघु इस घटना से उबर नहीं पाता। इस डकैती में पुलिस लायक (नवाजुद्दीन सिद्दकी) को पकड़ लेती है और वह इस अपराध में अपने पार्टनर (विनय पाठक) का नाम पुलिस को नहीं बताता। लायक को 20 वर्ष की सजा होती है। बीमारी के कारण वह 15 वर्ष की सजा काट बाहर आ जाता है और रघु को बदला लेने का मौका मिलता है। 
श्रीराम राघवन ने साधारण कहानी को अपने निर्देशकीय कौशल से देखने लायक बनाया है। उन्होंने एक हसीना थी और जॉनी गद्दार जैसी उम्दा फिल्में बनाई हैं, लेकिन अब तक बड़ी सफलता उनसे दूर है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि वे प्रतिभाशाली निर्देशक हैं।

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